केंद्र सरकार की इस स्कीम के जरिए 10 साल में दोगुना करें अपना पैसा, पढ़ें लाभ और नियम

By Career Keeda | Dec 30, 2020

किसान विकास पत्र (KVP) भारत सरकार की एक वन टाइम इन्वेस्टमेंट स्कीम है, जहां मैच्योरिटी पीरियड के बाद आपका पैसा दोगुना हो जाता है। किसान विकास पत्र देश के सभी डाकघरों और बड़े बैंकों में मौजूद है। इस स्कीम में निवेशक को 124 महीने यानी 10 साल 4 महीने तक निवेश करना होता है। इसमें न्यूनत निवेश 1000 रुपए का होता है और अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। 
इस स्कीम के तहत निवेशक को KVP सर्टिफिकेट के रूप में निवेश करना होता है। इस स्कीम में आप 1000 रुपये, 5000 रुपये, 10000 रुपये और 50,000 तक के सर्टिफिकेट खरीद सकते हैं। यदि निवेशक 50,000 से ज्यादा का निवेश करता है तो उसे अपने पैन कार्ड डिटेल जमा करनी होगी। वहीं, 10 लाख या इससे ज्यादा निवेश करना चाहते हैं तो आपको इनकम प्रूफ भी जमा करना होगा, जैसे ITR, सैलरी स्लिप और बैंक स्टेटमेंट। इसके अलावा पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड भी देना होता है।

6.9 फीसदी का इंट्रेस्ट रेट और 2.5 साल का लॉक इन पीरियड
वर्तमान में किसान विकास पत्र पर 6.9 फीसदी का इंट्रेस्ट रेट मिल रहा है। इस इंट्रेस्ट रेट के हिसाब से 124 महीने में आपकी रकम दोगुनी हो जाती है। यानी अगर आप 10 लाख रुपये निवेश करते हैं तो आपको मैच्योरिटी पर 20 लाख रूपए मिलेंगे। इस स्कीम में निवेश करने पर 2.5 साल का लॉक इन पीरियड पूरा के बाद इमरजेंसी में आप इसमें से अपना पैसा निकाल सकते हैं।
 

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कौन कर सकते हैं निवेश
किसान विकास पत्र में निवेश करने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है। इसमें सिंगल अकाउंट के अलावा ज्वॉइंट अकाउंट की भी सुविधा है। सिंगल बालिग या अधिकतम तीन लोग मिलकर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं। यह योजना नाबालिगों के लिए भी उपलब्ध है, जिसकी देखरेख अभिभावक को करना होता है। यह योजना हिंदू अविभाजित परिवार यानी HUF या NRI को छोड़कर ट्रस्ट के लिए भी लागू है।।

किसान विकास पत्र के लिए जरूरी दस्तावेज
पहचान पत्र
आधार कार्ड
निवास प्रमाण पत्र
केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म
आयु प्रमाण पत्र
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
मोबाइल नंबर

लोन पर मिलता है लाभ
किसान विकास पत्र में निवेश करने पर टैक्स में कोई फायदा नहीं मिलता है। यह सेक्शन 80 सी के तहत कवर नहीं होता है। रिटर्न पर टैक्स लगता है, हालांकि टीडीएस नहीं कटता है। इस योजना का एक फायदा यह है कि इसका इस्तेमाल लोन के लिए सिक्यॉरिटी डॉक्युमेंट के रूप में किया जा सकता है। इसके आधार पर मिलने वाले लोन पर इंट्रेस्ट रेट कम लगता है।