भारत की सबसे पुरानी भाषा जिसे देवभाषा भी कहा जाता है, वह संस्कृत है। जिस भाषा को देवताओं का आशीष मिला हो, जो धार्मिक अनुष्ठानों में मंत्रोउच्चारण के लिए इस्तेमाल होती हो। उसके स्तर के मापन का झूठा प्रलाप करना उचित नहीं होगा। क्योंकि भारत वासियों के लिए समस्त भाषाओं में से संस्कृत उच्चतम स्थान रखती है। भारत के सामवेेेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद, उपनिषद एवं समस्त पुराणों को संस्कृत भाषा के द्वारा ही रचित किया गया है। जिस भाषा का इतना महत्व है उसके निरंतर अध्ययन से भविष्य या कैरियर सेट करने के लिए भी बहुत से अवसर मौजूद हैं।
हाईस्कूल से ही चुनें संस्कृत विषय
वैसे तो कहा ये जाता है, कि करियर उसी क्षेत्र में बनाना चाहिए या बनाने की सोचना चाहिए जिस विषय में रुचि अधिक हो। लेकिन ऐन मौके पर आप फैसला लेते हैं कि हमें अपने विषय से हटकर के किसी अन्य क्षेत्र को अपने कैरियर के रूप में साकार करना है, तब कठिनाइयां तो होती हैं परन्तु उस क्षेत्र में सेट हो जाएंगे। लेकिन जब हमारा लक्ष्य पहले से ही तय हो कि हमें किस क्षेत्र में जाना है तो फिर तैयारी उसी हिसाब से करनी चाहिए। ऐसे में आप संस्कृत में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो हाई स्कूल की पढ़ाई से ही संस्कृत विषय का चुनाव करिए। 12वीं पास करने के बाद की उच्च शिक्षा भी संस्कृत विषय में कर सकते हैं।
संस्कृत से करना होगा ग्रेजुएशन कोर्स
12वीं पास करने के उपरांत आपको उन कॉलेज या इंस्टिट्यूट्स में दाखिला लेना होगा, जहां संस्कृत विषय के स्पेशलाइजेशन के साथ आपको बैचलर ऑफ आर्ट एवं अन्य डिप्लोमा कोर्सेस कराए जाते हों। संस्कृत विषय को स्पेशल सब्जेक्ट के तौर पर चुन करके 3 साल की अवधि में आपकी ग्रेजुएशन डिग्री कंप्लीट की जा सकती है। तो वहीं 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किए जा सकते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स भी संस्कृत से करें
मास्टर ऑफ आर्ट्स संस्कृत विषय की महत्वता को समझते हुए स्नातकोत्तर का कोर्स कीजिए। जिसकी अवधि 2 वर्ष की होती है तदोपरांत आप संस्कृत विषय में पारंगत हो जाएंगे। लेकिन संस्कृत विषय में एक खोजी के तौर पर गहन शोध करने के लिए आपको डॉक्टरेट की उपाधि लेनी होगी जिसके लिए पीएचडी करना होगा।
इन क्षेत्रों में मिल सकती है नौकरी
संस्कृत विषय की उत्कृष्ट शिक्षा हासिल करने के बाद संस्कृत से जुड़ी सभी क्षेत्रों में प्राथमिकता मिलती है जैसे विद्यालय, विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक या प्रोफेसर के तौर पर नौकरी मिल सकती है। केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत भाषा को तीसरी भाषा के रूप में महत्वता दिए जाने पर वहां नौकरी के अवसर अधिक बढ़ चुके हैं। संस्कृत में अनुवादक और धर्म गुरु बनने के भी मौके आप सभी को प्राप्त हो सकते हैं।