दुनिया में हर दिन बदलते मौसम को लेकर सभी देश चिंतित हैं। क्योंकि प्राकृतिक घटनाओं पर हमारा नियंत्रण नहीं है। हालांकि मौसम वैज्ञानिक आने वाले प्राकृतिक खतरे को भांप लेते हैं। मौसम वैज्ञानिक के पूर्वानुमान से लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है, या फिर इस परेशानी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। ऐसे में अगर आप स्टूडेंट है तो यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप मौसम वैज्ञानिक कैसे बन सकते हैं और इसमें कितने प्रकार का कोर्स होता है।
क्या है मौसम विज्ञान
बता दें कि मौसम या वातावरण के वैज्ञानिक अध्ययन को मौसम विज्ञान कहा जाता है। यह मौसम की क्रिया-प्रतिक्रिया, पूर्वानुमान पर आधारित होता है। इसके तहत कई विषयों पर शोध व अध्ययन किया जाता है।
एग्रीकल्चर मीटियोरोलॉजी
फसलों की पैदावार और उससे होने वाले फायदे व नुकसान का आंकलन मौसम के अनुरूप दी जाती है। मौसम के हिसाब से गाइडलाइन जारी की जाती है। जिसमें मिट्टी प्रबंधन के लिए उपयोगी समय और फसलों की पैदावार का आंकलन किया जाता है।
फिजिकल मेटियोरोलॉजी
इसमें मौसम के इलेक्ट्रिकल, ध्वनिक, ऑप्टिकल और थर्मोडायनामिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।
सैटेलाइट मेटियोरोलॉजी
सैटेलाइट मेटियोरोलॉजी में सैटेलाइट के माध्यम रिमोट सेंसिंग उपकरणों से आने वाले डाटा के आधार पर महासागर और वायुमंडल का अध्ययन किया जाता है।
डाइनामिक मेटियोरोलॉजी
इस विषय में पृथ्वी और उसके आसपास वायु की गति का अध्ययन होता है। इसके साथ ही बादल, बारिश, तापमान और हवा के पैटर्न पर भी अध्ययन होता है। जो मनुष्य को प्रभावित करती है।
सिनॉप्टिक मेटियोरोलॉजी
इस विषय में मौसम संबंधी बाधाओं जैसे ट्रापिकल साइक्लोन, एंटी साइक्लोन और फ्रंटल डिप्रेशन का बारीकी से अध्ययन किया जाता है। कम दबाव के क्षेत्र में वायु, चक्रवात, क्षेत्र, जल और दबाव स्तर से एकत्र होने वाला मैप जो कि पूरी दुनिया के मौसम का सिनाप्टिक व्यू को बताता है।
क्लाइमेटोलॉजी
क्लाइमेटोलॉजी के जरिए जलवायु और उससे जुड़ी चीजों का अध्ययन किया जाता है। जलवायु के प्रभाव और उसके बदलवा पर भी शोध किया जाता है।
एविएशन मेटियोरोलॉजी
एविएशन मेटियोरोलॉजी पर एविएशन इंडस्ट्री के नजरिए से मौसम का शोध होता है। वहीं प्राप्त आंकड़े से पूर्वानुमान लगाया जाता है।