दिल्ली मेट्रो में यात्रा करने वाले लोगों का टनल से तो वास्ता जरूर होता होगा। टनल ट्रांसपोटेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर का हमेशा से एक अभिन्न अंग रहा है। इंजीनियर और एक्सपर्ट्स मिलकर टनल को तैयार करते हैं। सिविल इंजीनियरिंग का ही एक पार्ट टनल इंजीनियरिंग है। यह जियोटेक्निकल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का एक कॉम्बिनेशन होता है। बता दें कि टनल इंजीनियर को चट्टानों व मिट्टी की काफी अच्छी समझ होती है।
आपको बता दें कि आप टनल इंजीनियरिंग कर अपने भविष्य को एक दिशा दे सकते हैं। अगर टनल इंजीनियर शब्द आपके लिए नया है, तो बता दें कि यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि टनल इंजीनियर कैसे बनते रहैं, इसके लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए और इसमें जॉब की क्या संभावनाएं होती हैं।
योग्यता
यदि कोई युवा इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहता है, तो उसको सबसे पहले सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री प्राप्त करनी होगी। इसके बाद वह टनल कंस्ट्रक्शन में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। वहीं सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक या एमटेक करने के बाद आप टनल बोरिंग की तकनीकों में जानकारी हासिल कर सकते हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों के विश्वविद्यालय टनल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेशन कोर्स ऑफर करते हैं। इसके अलावा बीटेक-एमटेक करने के बाद भी आप टनल इंजीनियर बनने के लिए सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं।
सैलरी
भारत देश में एक टनल इंजीनियर की एवरेज सैलरी करीब 1,73,615 रुपए के महीने के आसपास होती है। हांलाकि नॉलेज, स्किन और एक्सपीरियंस के हिसाब से ग्रोथ मिलती रहती है। ऐसे में युवा इस फील्ड में अपना शानदार कॅरियर बना सकते हैं।