IIT खड़गपुर में NEP 2020 के तहत की गई नई पहल, क्लासिकल एंड फोक आर्ट्स एकेडमी का हुआ शुभारंभ

By Career Keeda | Sep 07, 2020

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम बदलाव और सुधार किए गए हैं। NEP 2020 में मल्टीपल डिस्प्लिनरी एजुकेशन (बहु-विषयक शिक्षण) को लेकर भी प्रस्ताव दिया गया है। मल्टीपल डिस्प्लिनरी एजुकेशन से छात्र विज्ञान के साथ-साथ कला और सामाजिक विज्ञान के विषयों को भी चुन सकते हैं। इसके अलावा NEP 2020 के अनुसार आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) जैसे उच्च शिक्षण संस्थान भी मल्टी डिस्पिलनरी होंगे। इसका मतलब यह है कि आईआईटी और आईआईएम में छात्र इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के अलावा अन्य विषय भी पढ़ सकते हैं। 

हाल ही में आईआईटी खड़गपुर ने NEP 2020 के मल्टीपल डिस्प्लिनरी एजुकेशन  प्रस्ताव को अपनाते हुए शास्त्रीय एवं लोक कला अकादमी (एकेडेमी ऑफ क्लासिकल एंड फोक आर्ट्स) की शुरूआत की है। ऐसे छात्र जो विज्ञान के विषयों के साथ-साथ संगीत या कला में भी रूचि रखते हैं, उनके लिए यह काफी फायदेमंद होगा। इस अकादेमी को शुरू करने का उद्देश्य आईआईटी खड़गपुर के छात्र-छात्रों को संगीत एवं ललित कलाओं का प्रशिक्षण देते हुए उनकी रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना है। इस अकादेमी के माध्यम से छात्र-छात्रों को म्यूजिक (संगीत), फाइन आर्ट्स (ललित कला) और पर्फार्मिंग आर्ट्स (रंगकला) से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। आईआईटी खड़गपुर के डायरेक्टर वीरेंद्र तिवारी के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने आर्ट्स और म्यूजिक समेत मल्टी डिस्प्लिनरी एजुकेशन के लिए एक स्पष्ट रास्ता तैयार किया है। इससे इंजीनियरिंग के छात्र-छात्रों का समग्र विकास होगा और उनकी रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा मिलेगा। 

हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित अजॉय चक्रबर्ती इस शास्त्रीय एवं लोक कला अकादमी के ‘100 राग’ अभियान का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे छात्र-छात्राओं को उनकी पसंद चुनने की आजादी मिलेगी और वे बिना अपना करियर छोड़े अपने सपने पूरे कर सकेंगे। एजुकेशन टाइम्स से बात करते हुए पंडित अजॉय चक्रबर्ती ने कहा कि इस पहल से इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं को निखारा जा सकेगा, जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य संज्ञानात्मक विज्ञानों के साथ रचनात्मक कलाओं की रचना करके भारतीय रागों की गहरी संरचनाओं को तैयार करना है।

आईआईटी खड़गपुर में शास्त्रीय एवं लोक कला अकादमी के प्रोफेसर-इन-चार्ज और कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर पल्लब दासगुप्ता के अनुसार साइंटिफिक एक्सीलेंस (वैज्ञानिक उत्कृष्टता) सिर्फ रटकर सीखने से नहीं आती बल्कि इसके लिए कोई भी नई खोज करने के साथ-साथ उसे समझना, तैयार करना, अपनाना और  बताना भी आना चाहिए। उन्होंने के कहा कि संगीत और कला से ये सारे गुण आ जाते हैं। 
प्रोफेसर दासगुप्ता ने बताया कि अकादमी में म्यूजिक, फाइन आर्ट्स और टेक्नोलॉजी के विषयों में माइक्रो-क्रेडिट कोर्सेज शुरू किए जाएंगे।इसके साथ ही  उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में अकादेमी में ऐसे कोर्स शुरू करने की योजना है जिससे दुनियाभर में संगीत में रूचि रखने वाले लोगों को भारतीय संगीत और कला के बारे में सिखाया जा सके।