एक सफल सिविल इंजीनियर बनने के लिए क्या कुछ है करना डालिए एक नजर

By Career Keeda | Aug 02, 2020

भारत एक डेवलपिंग कंट्री है जहां प्रतिदिन बड़ी-बड़ी इमारतें, रोड, बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत तेजी  विकसित हो रहा हैं। ऐसे में यह सभी वर्क रियल एस्टेट के अंतर्गत आता है और इसका सीधा सीधा संबंध सिविल इंजीनियरिंग से होता है। आज के दौर में जब छात्र स्कूल में एडमिशन लेता है, धीरे-धीरे बड़ा होता हैं, नौवीं दसवीं क्लास में आने पर वह अपने भविष्य यानी अपने करियर के बारे में सोचने लगता हैं, वह डिसाइड कर लेता है कि उससे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना हैं। मां बाप भी अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित रहते है। अमूमन आपने देखा होगा की 12वीं पास करने के बाद ज्यादातर छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में जाते हैं।

12वीं पास करने के बाद कोई पत्रकार बनता है, कोई डॉक्टर, कोई वकील, कोई CA बनता है तो कोई सिविल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाता हैं। कईयों के दिमाग में आ रहा होगा सिविल इंजीनियर नाम तो उन्होंने सुना है पर पता नहीं यह क्या हैं। तो आज हम आपको खासकर उन छात्रों को जो सिविल इंजीनियरिंग को अपने भविष्य के रूप में देखते हैं और उसमें करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए हम बताएंगे कि यह सिविल इंजीनियरिंग क्या है, कैसे होती है, सिविल इंजीनियर बनने के लिए क्या करना पड़ता है योग्यता क्या है और सैलरी कितनी मिलती है।

क्या है सिविल इंजीनियरिंग? 

सिविल इंजीनियरिंग सबसे प्रचलित है और शायद सबसे पुराना इंजीनियरिंग पेशा है।सिविल इंजीनियर, बहुत से बुनियादी ढांचे को डिजाइन करने और बनाने के लिए जिम्मेदार हैं जो समाजों को कार्य करने में मदद करते हैं, सिविल इंजीनियरिंग में इन्फ्रास्ट्रक्चर की योजना, डिजाइनिंग, निर्माण, रखरखाव और पर्यवेक्षण शामिल है जिसमें राजमार्ग, पुल और सुरंगों, स्कूलों, अस्पतालों, हवाई अड्डों, इमारतों, सीवेज सिस्टम और जल उपचार सुविधाओं जैसे आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं।सिविल इंजीनियर सड़कों, पुलों, इमारतों और बांधों जैसे संरचनाओं के सुरक्षित निर्माण, संचालन और रखरखाव को सुनिश्चित करते हैं। सरल भाषा में कहें तो सिविल इंजीनियरिंग एक ऐसा पेशा है जिस पर पर भूमि का संरचनात्मक और समाज का शहरीकरण करने की जिम्मेदारी होती है।

एक सिविल इंजीनियर क्या काम करता है:

1.परियोजनाओं की योजना बनाने और डिजाइन करने के लिए लंबी दूरी की योजना, सर्वेक्षण रिपोर्ट, नक्शे और अन्य डेटा का विश्लेषण करना।

2.परियोजना की योजना और जोखिम-विश्लेषण चरणों के दौरान निर्माण लागत, सरकारी नियम, संभावित पर्यावरणीय खतरे और अन्य कारकों पर विचार करना।

3.संकलन, स्थानीय, राज्य और संघीय एजेंसियों को परमिट आवेदन सबमिट करना, यह सत्यापित करते हुए कि परियोजनाएं विभिन्न नियमों का अनुपालन करती है।

4.नींव की पर्याप्तता और ताकत का निर्धारण करने के लिए मिट्टी परीक्षण के परिणामों को देख और उनका विश्लेषण करना।

5.विशेष परियोजनाओं में उपयोग के लिए कंक्रीट, लकड़ी, डामर, या स्टील जैसी निर्माण सामग्री पर परीक्षणों के परिणामों का विश्लेषण करना।

6.प्रोजेक्ट की आर्थिक व्यवहार्यता का निर्धारण करने के लिए सामग्री, उपकरण या श्रम के लिए लागत अनुमान तैयार करना।

7.ट्रांसपोर्ट सिस्टम, हाइड्रोलिक सिस्टम और संरचनाओं को उद्योग और सरकारी मानकों के अनुरूप बनाने के लिए डिजाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग करना।

8.निर्माण स्थानों, साइट लेआउट, संदर्भ बिंदुओं, ग्रेड, और निर्माण को निर्देशित करने के लिए ऊँचाई स्थापित करने के लिए सर्वेक्षण कार्यों का निष्पादन या देखरेख करना।

9.सार्वजनिक और निजी बुनियादी ढांचे की मरम्मत, रखरखाव और प्रतिस्थापन की व्यवस्था करना।

एक सिविल इंजीनियर के पास यह स्किल्स और सक्षमता होनी चाहिए:

सिविल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने से पहले आपके अंदर इन स्किल का होना आवश्यक है तभी आप इस क्षेत्र में एक सफल करियर बना पाएंगे:

1.समस्याओं की पहचान, विश्लेषण और समाधान करने में सक्षम
2.अच्छा मौखिक और लिखित कम्युनिकेशन स्किल
3.कंप्यूटिंग और डिजाइन के लिए योग्यता
4.व्यावहारिक और रचनात्मक
5.पर्यवेक्षण के बिना काम करने में सक्षम
6.एक टीम के हिस्से के रूप में काम करने में सक्षम
7.जिम्मेदारी स्वीकार करने में सक्षम
8.ऑपरेशन की सुरक्षा, आवश्यकताओं में योगदान देने और पालन करने की इच्छा

इन सब के साथ व्यक्ति में डिसिशनमेकिंग स्किल्स, लीडरशिप स्किल्स, मैथ्स स्किल्स, ऑर्गेनाइजेशनल स्किल्स, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, राइटिंग स्किल्सऔर स्पीकिंग स्किल्स भी होनी चाहिए।

सिविल इंजीनियर बनने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया:

सिविल इंजीनियर बनने के लिए ग्रेजुएशन या डिप्लोमा की जरूरत पड़ती है फिर उसके बाद आगे आप इस फील्ड में मास्टर यहां तक की पीएचडी भी कर सकते  है। आमतौर पर 12वीं पास करने के बाद आप ग्रेजुएशन कर सकते और 10वीं पास करने के बाद डिप्लोमा कोर्स का विकल्प भी मौजूद है। लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं सिविल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने के लिए क्या है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया:

1.10+2 पास होना: सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के लिए अभ्यार्थी को 12वीं साइंस फील्ड से PCM सब्जेक्ट के साथ पास होना आवश्यक है तभी छात्र एंट्रेंस एग्जाम दे पाएंगे या इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल पाएगा।

2. एंट्रेंस एग्जाम को क्लियर करना: सरकारी इंजरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करना बेहद ही आवश्यक हैं इसलिए क्योंकि प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस की फीस बहुत ज्यादा होती है जोकि हर कोई चुका नहीं पाता।सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन हेतु कॉलेज में एडमिशन के लिए राष्ट्र एवं राज्य स्तर पर कई एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराए जाते हैं जैसे BITSAT, IIT JEE, AIEEE आदि। सिविल इंजीनियरिंग में M.tech करने के लिए उम्मीदवार को GATE एंट्रेंस एग्जाम को क्लियर करने की आवश्यकता हो सकती है।

3. 10वीं कक्षा पास होना: सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में डिप्लोमा करने वाले उम्मीदवारों को जूनियर इंजीनियर कहते हैं। अच्छे नंबरों से 10 वीं पास करने के बाद आपके पास सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के भी कई कोर्स उपलब्ध है जिसे आप कर सकते है।

सिविल इंजीनियर कैसे बने- डिग्री कोर्स:

आमतौर पर सिविल इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी और प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस डिप्लोमा, ग्रैजुएट, मास्टर और पीएचडी डिग्री कोर्स ऑफर करते हैं।
1.Diploma इन सिविल इंजीनियरिंग
2.B.E इन सिविल इंजीनियरिंग
3.B.Tech इन सिविल इंजीनियरिंग
4.M.E इन सिविल इंजीनियरिंग
5.M.Tech इन सिविल इंजीनियरिंग
6.PhD इन सिविल इंजीनियरिंग

1) डिप्लोमा कोर्स:  आमतौर पर सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स पॉलिटेक्निक कॉलेजों द्वारा ऑफर किए जाते हैं।इस 3 साल के डिप्लोमा कोर्स को करने के बाद छात्र जूनियर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हो सकते हैं या बतौर सहायक के रूप में काम सकते हैं या फिर डिप्लोमा करने के बाद ग्रेजुएशन में भी एडमिशन ले सकते सकते है।

- डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग
- एडवांस डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग 
- डिप्लोमा इन रूरल सिविल इंजीनियरिंग

2) - बैचलर कोर्स: साइंस साइड से PCM सब्जेक्ट के साथ 12वीं पास करने और एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के बाद 4 साल के B.E / B.Tech इन सिविल इंजीनियरिंग डिग्री कोर्स को करना होगा। ग्रेजुएशन के दौरान आप द्रव गतिकी के सिद्धांतों की समझ, विभिन्न स्थितियों में तरल पदार्थों के गुणों की समझ, वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए सूत्रों और समीकरणों का उपयोग जैसे मात्रा की गणना, स्थिति और गति के आधार पर त्वरण की गणना और क्षेत्र की गणना के लिए ग्रीन के प्रमेय का उपयोग आदि विषयों के बारे में पड़ेंगे और सीखेंगे। कोर्स को करने के बाद फिर आपको इंटर्नशिप प्रोग्राम को पूरा करना होगा जिससे आपको प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस हो जाए जोकि आपकी आगे जॉब के लिए बेहद ही जरूरी हैं।सफलतापूर्वक इंटर्नशिप पूर्ण होने के बाद आप किसी भी घमंड या प्राइवेट सेक्टर में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में काम कर सकते है।

3) - मास्टर कोर्स: सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद आप इंटर्नशिप के माध्यम से जॉब कर सकते हैं या फिर ग्रेजुएशन के सीधे बाद M.E / M.Tech इन सिविल इंजीनियरिंग डिग्री कोर्स कर सकते हैं।मास्टर डिग्री छात्रों को एक विशेष एकाग्रता में अतिरिक्त सिविल इंजीनियरिंग ज्ञान प्राप्त करने के साधन के साथ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है। सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री भविष्य के नेतृत्व के पदों के लिए प्रबंधन प्रशिक्षण भी प्रदान कर सकता है। अधिकांश मास्टर डिग्री कार्यक्रमों को पूरा होने में लगभग दो साल लगते हैं और इस दौरान छात्रों को कक्षा में भाग लेने के साथ-साथ कहीं पर जॉब या काम करने की अनुमति भी मिलती है।

4) PhD कोर्स: सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर करने के बाद आप आगे की पढ़ाई के लिए पीएचडी कोर्स कर सकते हैं।जो लोग गहन शोध अध्ययन आयोजित करने में रुचि रखते हैं वह डॉक्टरेट कोर्स का चयन कर सकते हैं। अधिकांश समय शोध, योजना और शोध प्रबंध लिखने में व्यतीत होता है, जो आमतौर पर एक स्व-प्रत्यक्ष प्रक्रिया है।

सिविल इंजीनियरिंग स्पेशलाइजेशन:

सिविल इंजीनियरिंग एक व्यापक क्षेत्र है जिसे विभिन्न शैक्षिक और प्रमाणन विकल्पों के साथ कई विशिष्टताओं में विभाजित किया गया है, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं जिसमें आप स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।

1.निर्माण इंजीनियर: निर्माण परियोजनाओं की देखरेख करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे समय पर और योजना के अनुसार सुरक्षित रूप से निर्मित हैं।

2.पर्यावरण इंजीनियर: इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान का उपयोग करके पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान विकसित करते हैं।

3.जियोटेक्निकल और जियोइन्वायरमेंटल इंजीनियर: यह सत्यापित करते हैं कि निर्माण परियोजनाएँ विभिन्न प्रकार की मिट्टी या चट्टान में नींव के लिए उपयुक्त हैं। वे ढलान और अन्य सुविधाओं और अन्य संरचनाओं के बीच दीवारों और सुरंगों को बनाए रखने के डिजाइन पर विचार करते हैं।

4.हाइड्रोलिक या जल संसाधन इंजीनियर: गुरुत्वाकर्षण और अन्य ताकतों के लिए पानी और मल के प्रवाह की योजना बनाते हैं।

5.स्ट्रक्चरल इंजीनियर: लंबी अवधि की ताकत सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख निर्माण परियोजनाओं का निर्माण और निरीक्षण करते हैं जिसमें बांध, पुल और इमारतें शामिल हैं।

6.परिवहन इंजीनियर: सड़कों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और बड़े पारगमन प्रणालियों सहित परिवहन प्रणालियों की योजना, डिजाइन और रखरखाव करते हैं।

लाइसेंस, सर्टिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन:

सिविल इंजीनियर के रूप में प्रवेश स्तर के पदों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। एक व्यावसायिक इंजीनियरिंग (PE) लाइसेंस, जो उच्च स्तर के नेतृत्व और स्वतंत्रता के लिए अनुमति देता है, बाद में प्राप्त किया जा सकता है। लाइसेंस प्राप्त इंजीनियरों को पेशेवर इंजीनियर (PEs) कहा जाता है। एक PE अन्य इंजीनियरों के काम की देखरेख कर सकता है, डिजाइन योजनाओं को मंजूरी दे सकता है, परियोजनाओं पर हस्ताक्षर कर सकता है और जनता को सीधे सेवाएं प्रदान कर सकता है।
राज्य लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आमतौर पर निम्न की आवश्यकता होती है:

1.ABET से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग प्रोग्राम से डिग्री
2. फंडामेंटल ऑफ इंजीनियरिंग (FE) परीक्षा में एक उत्तीर्ण अंक
3.प्रसांगिक कार्य अनुभव, आमतौर पर एक लाइसेंस प्राप्त इंजीनियर के तहत काम करने में कम से कम 4 साल
4.व्यावसायिक इंजीनियरिंग (PE) परीक्षा में एक उत्तीर्ण अंक

ग्रेजुएशन की डिग्री अर्जित करने के बाद प्रारंभिक FE परीक्षा ली जा सकती है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले इंजीनियरों को आमतौर पर इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण (EITs) या इंजीनियर इंटर्न (EIs) कहा जाता है। कार्य अनुभव आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, EITs और EIs दूसरी परीक्षा ले सकते हैं, जिसे इंजीनियरिंग का सिद्धांत और अभ्यास कहा जाता है।

प्रत्येक राज्य अपने स्वयं के लाइसेंस जारी करता है। अधिकांश राज्य अन्य राज्यों से लाइसेंस प्राप्त करते हैं जब तक कि लाइसेंसिंग राज्य की आवश्यकताओं को पूरा करने या अपनी स्वयं की लाइसेंस आवश्यकताओं से अधिक हो। कई राज्यों को अपने लाइसेंस रखने के लिए इंजीनियरों की सतत शिक्षा की आवश्यकता होती है।

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स तटीय इंजीनियरिंग, भू-तकनीकी इंजीनियरिंग, बंदरगाहों इंजीनियरिंग, जल संसाधन इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में सर्टिफिकेशन प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त सिविल इंजीनियर भवन सुरक्षा और स्थिरता में प्रमाणित हो सकते हैं।

भारत में सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान:

1. IIT, Rorki, Delhi, Ahmedabad, Mumbai
2. BIOT, Raanchi
3. NITMR, New Delhi, Srinagar 
4. IIS, Bengaluru 
5. SPCE, Mumbai यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
6. Government Polytechnic College, Delhi, Lucknow, Mumbai 

सिविल इंजीनियरिंग में करियर विकल्प:

जैसे-जैसे भारत डेवलपिंग कंट्री से डेवलप्ड कंट्री की की तरफ बढ़ रहा है वैसे वैसे सिविल इंजीनियरिंग में सफल करियर और रोजगार के मौके भी बढ़ रहे है। 12वीं पास करने के बाद जो छात्र इंजीनियरिंग फील्ड चुनते थे उसमें अब ज्यादातर छात्र सिविल इंजीनियरिंग को एक सफल करियर के रूप में देख रहे हैं क्योंकि यह सीधे-सीधे कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट के बिजनेस से जुड़ा है जोकि कभी रुक या बंद नहीं हो सकता तो ऐसे में अगर आपने सिविल इंजीनियर बनते है। तो आपको रोजगार की चिंता करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में आपको नौकरी मिलना तय है। बड़ी-बड़ी इमारतों, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रोड, हाईवे, सीवेज, टनल और एयरपोर्ट आदि की डिजाइन और रूपरेखा सिविल इंजीनियर द्वारा ही बनाई जाती है। इसलिए हम कहना चाहेंगे कि सिविल इंजीनियरिंग आने वाले वाले समय में एक ऐसा क्षेत्र है जोकि एक आकर्षक करियर विकल्प के रूप में उभर कर आएगा, जिसमें दुगने रोजगार के अवसर पैदा होंगे और दुगनी रफ़्तार से यह फील्ड और आगे बढ़ेगा।

सिविल इंजीनियर की सैलेरी:

प्राइवेट सेक्टर की बात करें तो एक सिविल इंजीनियर को प्रारंभ में 25 से 30,000 की सैलरी मिलती है लेकिन बाद में आपके अनुभव, एक्सपीरियंस, कौशल, क्षमता और योग्यता के आधार पर यह कुछ ही समय में 1 लाख के ऊपर भी पहुंच सकती हैं। एक सिविल इंजीनियर चाहे तो बिना किसी नौकरी या किसी संस्थान से ना जुड़कर भी अपना काम कर सकता है, अपना बिजनेस स्थापित करके।इस दौरान वह व्यक्तिगत तौर पर भी अपनी क्षमता के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हैंडल कर सकता है।