जानिए क्या है वैदिक गणित जिससे लंबी और जटिल गणनाओं को कर सकेंगे चुटकियों में हल

By Career Keeda | May 30, 2020

हम सभी जानते हैं कि गणित अंकों का विज्ञान है। छोटे से ही बच्चों को इस गणित के बारे में सिखाना शुरू कर दिया जाता है, उसे गणित के अंकों के बारे में सिखाया जाता है और फिर धीरे-धीरे वह मुश्किल और जटिल गणनाओं को समझता और हल करता है। छोटे से लेकर अंत तक हमें इसी सामान्य गणित के बारे में पता होता है, जिसका उपयोग हम अपनी रोजमर्रा के जीवन में करते हैं।
 
कभी-कभी कुछ गणनाएं ऐसी होती हैं, जो काफी लंबी और जटिल होती है जिनको हाल करने में काफी लंबे समय लग जाता है। क्या आप जानते हैं हमारी इस सामान्य गणित के इलावा भी एक और गणित होती है, जिसके बारे में शायद ही आपको मालूम हो जिसे वैदिक गणित कहते हैं। वैदिक गणित सामान्य गणित से बहुत अलग होती है और ज्यादा फायदे वाली भी होती है। आज हम आपको इस वैदिक गणित के बारे में बताएंगे यह क्या होती है? कहां से आई है? यह गणित, सामान्य गणित में कितनी अलग है? इसके फायदे और कैसे हम इस वैदिक गणित का प्रयोग कर जटिल और लंबी गणनाओं को को आसानी और तेजी से हल कर सकेंगे।

क्या है वैदिक गणित?

1.  वेद से उत्पन्न होने के कारण इस गणित को "वैदिक गणित" कहा जाता है। वेद एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'ज्ञान'। यह चौथे वेद "अथर्ववेद" से उत्पन्न हुआ है। "अथर्ववेद" इंजीनियरिंग, गणित, मूर्तिकला, चिकित्सा, और अन्य सभी विज्ञानों की शाखाओं से संबंधित है, जिनके साथ हम आज अवगत हैं।

2.  वैदिक गणित आसान और तेज तरीके से गणितीय अंकगणित को हल करने के लिए तकनीक/सूत्रों का एक संग्रह है। इसमें 16 सूत्र (फार्मूले) और 13 उप-सूत्र (उप फार्मूले) शामिल हैं, जिनका उपयोग अर्थमैटिक, अलजेब्रिक, ज्योमैट्रिक, कैलकुलस और कॉनिक्स समस्याओं के लिए किया जा सकता है।

3.  वैदिक गणित गणित की एक प्रणाली है जिसे भारतीय गणितज्ञ जगद्गुरु श्री भारती कृष्ण तीर्थजी ने A.D. 1911 और 1918 के बीच की अवधि में खोजा था और तीर्थजी महाराज द्वारा एक वैदिक गणित पुस्तक में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए थे।

4. जब हम सामान्य गणित का प्रयोग करते हैं तो, कभी-कभी समस्याओं को हल करना जटिल और समय लेने वाला होता है। लेकिन वैदिक गणित की सामान्य तकनीकों और विशिष्ट तकनीकों का उपयोग करके संख्यात्मक गणना बहुत तेजी से की जा सकती है।

कहां से आई वैदिक गणित?

श्री भारती कृष्ण तीर्थजी महाराज का जन्म मार्च 1884 में उड़ीसा राज्य के पुरी गाँव में हुआ था। वह गणित, विज्ञान, मानविकी जैसे विषयों में बहुत अच्छे थे और संस्कृत भाषा में उत्कृष्ट थे। उनकी रुचि आध्यात्म और मध्यस्थता में भी थी। वास्तव में जब वह श्रृंगेरी के पास जंगल में ध्यान का अभ्यास कर रहे थे, तो उन्होंने उस दौरान वैदिक सूत्रों का खोज किया। अंत में वर्ष 1957 में, उन्होंने 16 सूत्रों का परिचयात्मक खंड लिखा जिसे वैदिक गणित कहा जाता है।

आपको वैदिक गणित क्यों जानना चाहिए?

वैदिक विद्वानों ने अपने संख्यात्मक अंकन में बड़ी संख्या के लिए आंकड़ों का उपयोग नहीं किया। इसके बजाय, वे संस्कृत वर्णमाला का उपयोग करना पसंद करते थे, प्रत्येक वर्णमाला में एक संख्या होती है। कई मंत्र वास्तव में संख्याओं को दर्शाते हैं। जिसमें प्रसिद्ध गायत्री मंत्र भी शामिल है, जो डिकोड होने पर 108 में जुड़ जाता है। वैदिक गणित एक पंक्ति में उत्तर प्रदान करता है, जहां सामान्य गणित कई चरणों में उत्तर प्रदान करता है। यह एक प्राचीन तकनीक है जो गुणा, विभाजन, जटिल संख्या को सरल बनाती है।

सामान्य गणित और वैदिक गणित के बीच का अंतर

1.फार्मूले : वैदिक गणित में 16 फार्मूले होते हैं और 13 सब फार्मूले, जबकि सामान्य गणित में असंख्य फार्मूले होते हैं।

तकनीक : मानसिक गणना तकनीक- वैदिक गणित पूरी तरह से ध्यान में रखकर किया जा सकता है। जबकि सामान्य गणित जटिल और समय लेने वाला चरणों में हल किया जाता है।

3.कार्यप्रणाली : वैदिक गणित पूरी तरह से सरल, प्रत्यक्ष और मूल होती है जबकि सामान्य गणित असंगत।

4. वैदिक गणित सरल और तेज होती है जिसमें परिणामों तक पहुंचने के 1 से अधिक तरीके होते हैं, जबकि सामान्य गणित कठिन और विस्तृत होती है।

5.गति : वैदिक गणित- अन्य तकनीकों की तुलना में 5X तेजी से गणना करता है।
सामान्य गणित- लंबी और जटिल गणना के लिए कैलकुलेटर का उपयोग करता है।

वैदिक गणित इस्तेमाल करने के फायदे

1. सामान्य गणित की तुलना में 1500% तेज
2. गति और सटीकता बढ़ाता है।
3. बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन और त्वरित परिणाम
4. आपके दिमाग को तेज करता है, मानसिक चपलता और बुद्धि बढ़ाता है।
5. बच्चों में दृश्य और एकाग्रता बढ़ाता है।
6. वैदिक गणित का इस्तेमाल करने से आप मानसिक कैलकुलेटर बन पाएंगे।