बच्चों का व्यक्तित्व विकास यानि Personality Development of Kids - क्या करें और क्या न करें

By Career Keeda | Jul 24, 2020

बच्चों का व्यक्तित्व विकास कोई आसान बात नहीं। बच्चे हर उम्र में किसी न किसी की तरह बनना चाहते हैं। कभी उन्हें किसी एक्टर का व्यक्तित्व ज़्यादा अच्छा लगता है तो कभी किसी कार्टून कैरेक्टर का। कभी वो अपने माता-पिता को एक Role Model की तरह देखते हैं तो कभी अपने बड़े भाई बहन या किसी रिश्तेदार को। एक तरह से तो ये बच्चों के मानसिक विकास को दर्शाता है पर दूसरी ही ओर ये बच्चों के माता-पिता के लिए कई कठिनाईयां भी पैदा कर देता है। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चे के व्यक्त्तिव विकास में किस तरह सहयोगी बनें और उन्हें किसे Follow करने की सलाह दें, आइये ये सब जानते हैं नीचे लिखे इस लेख में-

बच्चों के Personality Development यानि व्यक्त्तिव विकास में माता-पिता ऐसे सहयोग दें-

1. बच्चों को कभी भी किसी तरह से label न करें । इसका मतलब है कि बच्चे के साथ कोई भी ऐसा Negative शब्द न जोड़ें जो उसकी पहचान बन जाये । जैसे अगर कोई बच्चा पढ़ता नहीं है तो माता-पिता उसे अक्सर निकम्मा या नालायक कहकर हर एक के सामने पुकारते हैं, ये बिलकुल ग़लत है । ऐसा करने से बच्चे मानसिक रूप से उस label से उभर नहीं पाते और उनका असली व्यक्त्तिव इससे काफी प्रभावित होता है।

माता-पिता को समझना चाहिए कि बच्चे में कोई भी कमी सारा जीवन नहीं रहती लेकिन उसके साथ ऐसा कोई भी नाम जोड़ देना जो उसकी छवि बन जाये अक्सर सारे जीवन के लिए उसकी पहचान बन जाता है और कई बार चाहकर भी बच्चा उस पहचान को बदल नहीं पाता।

ऐसे में ज़रूरी है कि माँ-बाप उसे सिर्फ बतायें कि उसमें क्या कमी है पर उस कमी को उसके नाम के साथ जोड़े नहीं। बच्चे को उसकी कमियों का एहसास किस प्रकार करवाना चाहिए ताकि वो सही तरीके से समझ भी जाए और जिससे उसका व्यक्त्तिव भी प्रभावित न हो, उसके बारें में मैंने नीचे लिखा है।

2 – बच्चों को उनका असली व्यक्तित्व दर्शाने की पूरी आज़ादी दें । अक्सर देखा जाता है कि वो बच्चे जो बहुत शैतानी करते हैं, माता-पिता उन्हें दूसरों के सामने बहुत नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं ताकि उस बच्चे का असली व्यक्त्तिव किसी और के सामने न आये और उनको किसी के सामने शर्मिंदगी न उठानी पड़े । पर जाने-अनजाने में ऐसे माता-पिता अपने बच्चे के मानसिक और व्यक्तित्व विकास को काफी प्रभावित कर जाते हैं । जहाँ एक ओर वो अपने बच्चे को परोक्ष रूप से ये सिखा देते हैं की उन्हें दूसरों के सामने अपने अच्छे व्यक्तित्व को ही दिखाना चाहिए वहीं दूसरी और वो उन्हें ये भी एहसास करा रहे होते हैं कि असली व्यक्त्तिव अगर समाज के अनुकूल न हो तो वो स्वीकार्य नहीं होता। इसलिए अभिभावक ध्यान रखें की वो बच्चों को समझाए पर उन पर अत्यधिक प्रतिबन्ध न लगाएं या उन्हें ज़बरदस्ती अपना व्यक्तित्व छुपाने को न कहें । बच्चे अगर शैतानी करें तो उन्हें सकारात्मक कामों में लगाएं ।

3. एक अच्छा तरीका जिससे अभिभावक अपने बच्चों के व्यक्तित्व में विकास देख सकते हैं, वो है कि वो उन्हें अच्छे Communication Skills यानि अच्छे बोलचाल के गुण सिखाएं । अच्छे Communication Skills सीखने से बच्चा खुद को अच्छे से व्यक्त करना सीखता है । इससे बच्चे के व्यक्त्तिव विकास में काफी मदद मिलती है।

यहाँ ये ध्यान दें कि अच्छी बोलचाल की भाषा का ये मतलब नहीं की बच्चे को छोटी उम्र में ही Advance Communication Skills सीखने के लिए मजबूर किया जाएं । अगर स्कूल में ही अच्छे Communication Skills सीखाएं जाते हैं या माता-पिता खुद रोज़ाना प्रयास करते हैं तो वो भी काफी हैं । इसके अलावा बच्चे को Public Speaking ट्रेनिंग भी करवा सकते हैं ।

4. हर बच्चे का अपना एक व्यक्त्तिव होता है जिसे वो जीवन भर अपने अनुभवों से विकसित करता है। माता-पिता की ज़िम्मेदारी सिर्फ ये होनी चाहिए की वो बच्चे को उसके स्वाभाविक व्यक्त्तिव के विकास में मदद करें न की उस पर किसी और प्रभावी व्यक्ति का व्यक्त्तिव थोपें । वो उन्हें अलग उम्र के अलग लोगों से मिलवाये और उन्हें अपना Role Model खुद चुनने दें ।

बच्चे को सिर्फ ये समझाएं कि उन्हें हर Role Model के पसंदीदा गुणों को अपनाना चाहिए और अपनी सूझ-बूझ से ये समझना चाहिए कि क्या वो गुण उसके व्यक्त्तिव को और सुन्दर बनाते हैं या फिर बिगाड़ते हैं, जैसे जैसे बच्चों को ये बात समझ आती जाएगी वो अपने व्यक्त्तिव को कुछ अद्वितीय गुणों से खुद ही निखारते जायेंगे ।

बच्चे के उभरते व्यक्त्तिव के दौरान माता-पिता क्या न करें

1. सबसे पहले बच्चे पर कुछ भी करने या किसी के भी जैसा बनने के लिए दबाव ना डालें। ज़रूरी है की बच्चा अपना Role Model अपने पूरे मन से चुने ।

2. बच्चों पर नियम-कानून ना थोपें या उन्हें अत्यधिक नियंत्रित करने की कोशिश ना करें । बच्चों का स्वाभाविक विकास ही उनके लिए सबसे अच्छा है । अत्यधिक नियम या कानून उनके मानसिक विकास को भी प्रभावित करते हैं और उनमें डर या हीनता जैसी भावनाएं भी पैदा करते हैं ।

3. अपने व्यक्त्तिव की किसी भी कमी को बच्चे के विकास से न जोड़ें । उसे स्वतंत्रता से अपनी Personality को बनाने दें । जीवन के अनुभवों से सीखकर बच्चे खुद ही अपने व्यक्त्तिव में ज़रूरी बदलाव ले आते हैं।

4. अगर आपके बच्चे का व्यक्त्तिव दूसरे बच्चों से अलग है तो उससे इसके लिए डांटे या मारें नहीं । अलग होना कोई बुरी बात नहीं होती ।

बच्चों को किस तरह बताएं उनकी गलतियों के बारे में

बच्चे आखिरकार बच्चे ही होते हैं । ज़रूरी नहीं कि वो अपने जीवन का हर कदम सही ही उठायें । यही कारण है कि एक उम्र तक उनके जीवन के फ़ैसले करने का अधिकार उनके माता-पिता को दिया जाता है।

ज़रूरी है कि बच्चे अगर कोई गलती करें तो उन्हें उसका एहसास सही तरीके से करवाया जाए ताकि वो समझ भी सके और उस गलती को दोहराए भी नहीं । इसके लिए ज़रूरी है कि माँ-बाप गलती करते ही बच्चों को एक दम डांटना ना शुरू कर दें और उसे सही समय पर और अकेले में बैठाकर स्वयं का आंकलन करवाएं । इसका अर्थ है की बच्चें से पूछें न कि उसे बताएं की उसने क्या गलत किया है। ऐसा मान्य है कि अगर बच्चों को स्वयं का आंकलन करने को कहा जाए तो वो अपनी गलती को गहराई से समझते हैं और उसे जल्दी नहीं दोहराते ।

स्वयं आंकलन के लिए किसी Expert या Counsellor की भी सलाह ले सकते हैं । वो आपके बच्चों के व्यक्त्तिव के बेहतर विकास में आपकी मदद कर सकते हैं ।
 
 
Komel Chadha
Solutions Coach | Mental Health Counsellor | Public Speaker
www.komelchadha.com